मालवा का पठार :- मध्य के पश्चिम में स्थित मालवा का पठार 20017’ – 2508’ उत्तरी
अक्षांश से लेकर 740.59’ - 79020’ पूर्वी देशांतर तक विस्तृत है। दक्कन ट्रेप की बैसाल्ट चट्टानों से
निर्मित मालवा का पठार इन्दौर, झाबुआ, मंदसौर, नीमच, का भाग, रतलाम, उज्जैन, शाजापुर,
आगर, देवास, भोपाल,
धार, राजगढ़, सीहोर,
विदिशा, गुना, सागर,
अशोक नगर का भाग आदि मालवा का पठार मध्य प्रदेश के 16 जिलो में
विस्तृत है। मालवा के पठार का निर्माण क्रिकेटस युग के अंतिम समय में हुआ था।
इसकी औसत ऊँचाई 500 मीटर है। कर्क रेखा मालवा के पठार के मध्य से होकर गुजरती है।
वांचू पाईट चम्बल का उद्गम स्थल है हो मालवा पठार में जानपाव पहाडी पर स्थित है।
सिगार(881), जानपाव(854), धजारी(810),
यहाँ की प्रमुख चोटियाँ हैं। मालवा के पठार को गेंहूँ की ढलिया कहा
जाता है।
मालवा के पठार का ढाल उत्तरमुखी समतल है यह म.प्र.
की कुल भूमि का 26.62 प्रतिशत भाग है। मालवा के पठार के उपविभाजक सोनवाडा पठार, सागर पठार, विदशा की उच्च भूमि, भोपाल का पठार है।
मालवा के पठार की जलवायु - यहाँ पर औसतन वर्षा
75-125 सेमी तक होती है। और यहाँ का तापमान 40-42 सेंटीग्रेट रहता है। फाह्यान ने
मालवा की जलवायु को विश्व की श्रेष्ठ जलवायु बताया था।
मलवा के पठार की प्रमुख फसल – मालवा का पठार काली
मिट्टी से निर्मित पठार है। इसलिए इस पठार की फसल कपास, गेहूँ, गन्ना, सोयाबीन प्रमुख
फसल है। मालवा का पठार औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ कृषि क्षेत्र भी है। इसलिए
यहाँ का जनसंख्या घनत्व भी अधिक है।
मालवा के पठार की प्रमूख नदियाँ – चम्बल, माही बेतवा, दशानन, केन
क्षिप्रा, कालीसिंध, पार्वती आदि
नदियाँ प्रवाहित होती है।
मध्य भारत का पठार - मध्य प्रदेश का पठारी उत्तरी भाग जो कि राजस्थान और उत्तर प्रदेश से सटा हुआ है। जो विंध्य शैल समूह का हिस्सा
है। चम्बल घाटी इसी में अवस्थित है। इसका विस्तार 24000’ – 2608’
उत्तरी अक्षांश से लेकर 74050’- 74010’पूर्वी देशान्तर है।
ढाल – इसका ढाल उत्तर
में उत्तर-पूर्व की ओर तथा दक्षिणा में दक्षिण-पश्चिम की ओर है।
प्रमुख जिले – ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, श्योपुर,
शिवपुरी का कुछ भाग, नीमच और मंदसौर का गरोठ
इसी पठार के अंतर्गत आते है।
प्रमुख नदियाँ – चम्बल, पावर्ती, सिंध, कुंवारी,
कुनु आदि
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रीवा-पन्ना का पठार या विध्य का पठार :- विध्य
का पठार कडप्पा और विध्यन शैल समूहों से निर्मित कगारी क्षेत्र जो कि कर्क रेखा
के उत्तर में विध्यन का पठार कहलाता है। इसकी समुद्र तल से ऊँचाई 650-750 तक है। इसकी
स्थिति 230-31’- 79020’ उत्तरी अक्षांश लेकर 7404’ –
82018’ पूर्वी देशांतर
प्रमुख जिले – रीवा, पन्ना, सतना, दमोह, आदि
नर्मदा सोन घाटी – यह एक
संकरी भ्रंश घाटी है। जो कि मध्य उच्च प्रदेश के केन्द्र में स्थित है जो कि
उत्तर-पूर्व से लेकर पश्चिम तक म.प्र. की लम्बाई को नापती है। नर्मदा घाटी भारत
की सबसे बडी रिफ्ट वैली है जो कि सर्वाधिक लम्बी और चौडी है। जबकि सोन घाटी संकरी
है। इसके अन्तर्गत मध्य प्रदेश का 27.92 प्रतिशत क्षेत्र आता है। इसकी औसतन
ऊँचाई 300 मीटर है। इसका विस्तार 2304’ – 23045’
उत्तरी अक्षांश से लेकर 74000’ – 81020’ पूर्वी देशांतर तक
है।
प्रमुख जिले – मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद,
रायसेन, खण्डवा, बुरहानपुर,
खरगौन, बड़वानी, धार,
देवास, बैतूल आदि ।
नदियाँ – नर्मदा, ताप्ती,
सोन, तवा आदि
बुन्देल खंण्ड का पठार – बुन्देल खण्ड का पठार
मध्य प्रदेश के उत्तर में उत्तर प्रदेश के दक्षिण पश्चिम में यमुना के जलोढ मैदान
से सटा हुआ है यहाँ की मिट्टी लाल-पीली है इसका निर्माण नीस और ग्रनाइट चट्टान जो
कि प्रि. कैम्बियन युगीन है से बना है इसका ढाल उत्तर-पूर्व की ओर है। इसकी स्थिति
24060’ – 26022’ उत्तरी अक्षांश से लेकर 77051’ – 80020’ पूर्वी देशांतर है। सिध्द
बाबा की चोटी जो कि बुन्देल खण्ड के पठार की सर्वोच्च चोटी है जिसकी ऊँचाई 1172
मीटर है।
प्रमुख जिले – टीकमगढ, छतरपुर, सागर, दतिया आदि
प्रमुख नदियाँ – बेतवा, धसान, सिंधु, पहज और क्रेन है।
नोट – यह तीन पर्वत श्रेणियों का संगम स्थल है –
विंध्यन,
फौना, एवं भांडेरी श्रेणी
सतपुडा मैकल श्रेणी – मध्य प्रदेश की सर्वोच्च
चोटी धूपगढ (1350) इसी में स्थित है। यह श्रेणी पूर्व अमरकंट से लेकर म.प्र.
दक्षिण पश्चिमी सीमां तक विस्तृत है इस श्रेणी के तीन उपविभाक है- एक मैकल
श्रेणी जो कि अर्धचन्द्राकार है इसका
पूर्वी भाग है दूसरा मध्य श्रेणी हिस्सा जो कि मैकल श्रेणी के पश्चिम और राजपीला
के पूर्व में एक चौडी श्रेणी है जिसके कई हिस्से है ग्वालीगढ श्रेणी, महादेव श्रेणी आदि तीसरा भाग राजपीपला श्रेणी जो कि सतपुडा मैकल श्रेणी का
सबसे पश्चिम हिस्सा है। यह काफी कटा – फटा हुआ भाग है। बुरहानपुर दर्रा इसी
श्रेणीं में स्थित है। इसकी स्थिति 21000’ – 23000’
उत्तरी अक्षांश से लेकर 7403’ – 81000’ पूर्वी देशांतर है।
प्रमुख जिले – बुरहानपुर, खण्डवा, खरगौन, होशंगाबाद,
हरदा, बैतूल, बालाघाट,
छिन्दवाडा, सिवनी आदि
पूर्वी पठार का वघेलखण्ड का पठारी भाग- यह
गोण्डवाना शैल समूह से निर्मित पठार जो कि मध्य प्रदेश के पूर्व जबकि छत्तीगढ़
के पृथक होने पर पूर्वी बघेलखण्ड छत्तीगढ़ में चला गया। विध्य प्रठार का निर्माण
विध्यन ग्रनाइटशैल समूह और धारवाड युगीन शैल चट्टानों से निर्माण हुआ। इसकी औसत
ऊँचाई 1500 मीटर है। इस पठार के अंतर्गत मध्य प्रदेश का सीधी, शहडोल सिंगरोली, उमरिया, अनूपपुर,
डिण्डोरी आदि जिले आते
है इसकी स्थिति 23040’
– 24045’ उत्तरी अक्षांश से लेकर 80045’
– 82047’ पूर्वी
देशांतर है।


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