मध्य प्रदेश के प्रमुख किले व दुर्ग
ग्वालियर किला :- ग्वालियर केले को किलों का रत्न कहा जाता है। जिसे गालव ऋषि की स्मृति (500 ईसवी) में राजा सूरजसेन ने बनवाया था। इसे पूर्व का जिब्राल्टर कहा जाता है।
नरसिंहगढ़ का किला
:- नरसिंहगढ़ के किले को कश्मीर-ए-मालवा कहा जाता है। यह राजगढ़ जिले में स्थित
है।
माण्डू दुर्ग :- जिसमें
12 दरवाजे है। यह एक विशाल परकोटा है।
मण्डला दुर्ग :- मण्डला
दुर्ग जो कि गोंडवाना वंश की राजधानी थी। इसका निर्माण राजा नरेश शाह ने करवाया
था। यह जबलपुर से 96 कि.मी. दूर स्थित है। इसमें निजाम शाह ने राजराजेश्वरीकी स्थापना
की थी।
असीरगढ़ किला :- असीरगढ़
के किले को दक्षिण का प्रवेश द्वारा कहा जाता है। यह मध्य प्रदेश के बुरहानपुर
जिले में स्थित है। यह मुमताज की मृत्यु और प्रसव के साथ जुड़ा है।
पूरणमल का किला :- रायसेन
में स्थित पूरणमल के किले का निर्माण राजा रासबंसती ने करवाया था। जिसे शेरशाह
तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं जीत पाया था।
ओरछा दुर्ग :- ओरछा दुर्ग बुन्देला राजाओं के
शौर्य और त्याग की कहानी कहता प्रतीत होता है। यह बेतवा नदी पर ओरछा जिले झाँसी
के पास स्थित है।
अजयगढ़ का किला :- इस किले का निर्माण राजा अजयपाल
द्वारा निर्मित एक विशाल दुर्ग है। यह पन्ना के निकट है।
गिन्नौरगढ़ का किला :- इसे महाराज उदयवर्धन ने
भोपाल से 60 कि.मी. दूर बनवाया था।
चंदेरी दु्र्ग :- चंदेरी दुर्ग अशोकनगर जिले में
स्थित है। यह दुर्ग के साथ ‘चंदेरी’ साड़ी
के लिये भी मशहूर है। इसका निर्माण राजा कीर्तिपाल ने 11वीं सदी में करवाया था।
बांधवगढ़ का दुर्ग :- बांधवगढ़ का किला अभेघ और भव्य
दुर्ग के रूप में विख्यात है, जो उमरिया जिले के बीहड़
जंगलों, पहाडि़यों में स्थित है।
कान्हरगढ़ का किला:- यह किला सिंधु नदी के तट पर
दतिया में स्थित है।
दतिया का किला :- इसे बुन्देला नरेश वीरसिंह देव
ने बनवाया था। राजा नरेश भवानी सिंह ने इसके द्वारपट पर ‘जस्टिस इज द गेम ऑफ क्राउन’ लिखवाया था।
धार का किला:- यह परमारों की राजधानी थी। यह धार
जिले में स्थित है।
नरवर का किला :- यह शिवपुरी जिले में स्थित है। इसे
राजा नल ने बनवाया था।
मन्दसौर में स्थित किला :- अलाउद्दीन खिलजी ने
बनवाया था ।
इन्दौर का राजवाड़ा होल्करों की राजधानी रहा था।
अटेर और गोहर का किला :- यह भिण्ड जिले में स्थित
है।


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