मध्य प्रदेश में
स्थित समाधि एवं मकबरे
तानसेन का मकबरा :- गुप्तकाल में ग्वालियर संगीत सम्राट तानसेन
के मकबरे का निर्माण ग्वालियर में किया
गया था। यहाँ पर प्रत्येक वर्ष तानसेन समारोह भी किया जाता है।
रानी लक्ष्मीबाई की
समाधि :- ग्वालियर में
स्थित झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर प्रति वर्ष कवि सम्मेलन भी करवाया
जाता है। यह हमारी प्राचीन परंपरा को बनाये रखता है।
झलकारी बाई की समाधि
:- रानी लक्ष्मीबाई की सहायिका थी। इसकी
समाधि भी ग्वालियर में बनाई गई है।
मोहम्मद गौस का
मकबरा :- तानसेन के प्रथम
गुरू सूफी संत मोहम्मद गौस का मकबरा ग्वालियर दुर्ग के बाहर तानसेन के मकबरे के
पास स्थित है।
रानी दुर्गावती की
समाधि :- जबलपुर से 17
कि.मी. दूर बरेला गांव में रानी दुर्गावती की समाधि है, जो गोण्डवंश
की अंतिम शासिका थी। उन्होनें सुस्लिम सेना से अपने धर्म की रक्षा हेतु आत्महत्या
की थी।
गिरधारी बाई की समाधि :- गिरधारी
बाई रामगढ की रानी अवंती की सहायिका थी। इनकी समाधि मण्डला में स्थित है।
महारानी साख्ये राजे की समाधि :-
यह समाधि माधवराव सिंधिया प्रथम ने अपनी माता सांख्य राजे सिंधिया की स्मृति में
सुंदर बाग के मध्य बनवायी थी। यह समाधि सागर के निकट शिवपुरी में स्थित है।
रानी रूपमती की समाधि :- यह
शाजापुर जिले सारंगपुर में स्थित है।
बेजू बावरा की समाधि :- यह
चंदेरी अशोकनगर में स्थित है।
होशंगशाह का मकबरा :- यह माण्डू
में स्थित है। यह मालवा के शासक द्वारा निर्माण करवाया गया था।
मत्स्येन्द्र पीर की समाधि :-
फकीर की संत मत्स्येन्द्र की समाधि उज्जैन में स्थित है जो श्रध्दा का केन्द्र
है।
बाजीराव पेशवा की समाधि :-
यह समाधि खरगोन जिले के रावर खेड़ी में स्थित है।
नवाब हसनसिद्दकी का मकबरा :-
संगमरमर से निर्मित इमारत है। जो कि भोपाल में स्थित है।
माल्हारराव होल्कर :- भिण्ड
जिले के आलमपुर में स्थित है।
अब्दुल्लाह शाह चंगल का मकबरा :-
यह सल्तनकालीन मकबरा है। जो कि धार जिले में स्थित है।


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