राष्ट्रीय प्रतीक, चिन्ह
राष्ट्रीय ध्वज – तिरंगा
तिरंगा को 22
जुलाई 1947 को भारतीय संविधान ने मान्यता दी। इसकी लम्बाई और चाडाई का अनुपात
3:2 है। तथा चौडाई तथा लम्बाई का अनुपात 2:3 है। इसका डिजायन पिंगली वैकैया ने
किया था। तथा इसको सर्वप्रथम मैडम भीकाजी कामा ने फहराया था। इसमें तीन रंग हैं। जिसमें
केशरिया रंग (शौर्य,
त्याग व बलिदान) का प्रतीक है जो ऊपर है। तथा सफेद रंग बीच में है, जो
( शांति, शुद्धता, सरलता) का प्रतीक है। और हर रंग (जीवन, उत्पादकता, खुशहाली
और समृद्धि ) का प्रतीक है। जो
नीचे है। इसमें बीचो-बीच में 24 तीलियां है जो 24 घण्टों का प्रतीक हैं। जिनका
रंग नीला होता है, मैडमी भीकाजीकामा ने ‘’स्टुर्ड
गार्ड’’ नामक स्थान पर जर्मनी में तिरंगा फहराया था। (लाल
नोट :- 26 जनवरी, 2002 से
‘ध्वज
संहिता भारत’ का स्थान ‘भारतीय ध्वज संहिता 2002’ ने
ले लिया है। इस व्यवस्था के अनुसार जब आम आदमी नागरिक भी अपनी निजी संस्थाओं, शिक्षण
संस्थओं में सम्मानित तरीके से साल के किसी भी दिन ध्वजारोहण कर सकते हैं।
राष्ट्रीय गीत- ‘’वन्देमातरम्’’
इसे
बंकिमचन्द्र चटर्जी ने लिखा था इसे ‘आनन्द मठ’
नामक पुस्तक से लिया गया है इसे कहरबा राग में 65 सेकण्ड
में गाया जाता है इसे सबसे पहले कांग्रेस के 12 वे अधिवेशन 1896 में कोलकत्ता में
गाया गया था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता रहीम तुल्ला सयानी ने की थी। इसे संविधान
ने 24 जनवरी 1950 को मान्यता दी।
राष्ट्रीय गीत की
रचना 1882 में बंकिमचन्द्र
का चटर्जी ने अपने
उपन्यास ‘आनंदमठ’
में की थी।
राष्ट्रीय गीत :
वंदे मातरम् संस्कृत भाषा में लिख गया है। इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘अरबिन्द
घोष’ तथा
उर्दू अनुवाद ‘आरिफ मुहम्मद खान’ ने
किया। राष्ट्रीय गीत की धुन प. पन्नालाल घोष के द्वारा तैयार की गई है।
विश्व के शीर्ष 10
राष्ट्रीय गीतों में आयरलैण्ड का राष्ट्रीय गीत ‘ A Nation Once Again’ प्रथम स्थान पर एवं ‘’वन्देमातरम्’’ द्वितीय
स्थान है।
किसी भी व्यक्ति को
राष्ट्रीय गीत के लिए वाध्य नहीं किया जा सकता है।
संसद के अधिवेशन के
समापन वंदे मातरम् से होता है।
हमारा राष्ट्रीय गीत
इस प्रकार है।
वंदे
मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्,
मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्,
मातरम्!
वंदे मातरम्,
वंदे मातरम्॥
राष्ट्रीय गान – ‘’जन-गण-मन’’
27 दिसंबर 1911. ये वो तारीख है जब ‘जन गण मन’ गीत पहली बार सार्वजनिक मंच पर गूंजा था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कलकत्ता (अब कोलकाता) अधिवेशन था. गीत गाने वाली कोई और नहीं, उसके रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर की भांजी सरला थीं. वो अकेली नहीं थीं, स्कूल के कुछ और बच्चे उनके साथ थे. सामने तब के कांग्रेस अध्यक्ष बिशन नारायण डार, अंबिका चरण मजूमदार, भूपेंद्र नाथ बोस जैसे नेता बैठे थे.
खुद टैगोर ने 1919 में आंध्र प्रदेश के बेसेंट थियोसोफिकल कॉलेज में यह गीत पहली बार गाया. कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने इसे मॉर्निंग प्रेयर बना लिया. उस कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल मार्गरेट कजिंस के कहने पर टैगोर ने गीत का अंग्रेजी में अनुवाद किया. टैगोर ने अंग्रेजी वर्जन को ‘द मॉर्निंग सॉन्ग ऑफ इंडिया’ टाइटल दिया था. उन्होंने गीत का म्यूजिकल नोटेशन भी तैयार किया. ये नोटेशन गीत को उसके मूल स्टाइल में गाने पर इस्तेमाल होता है.
राष्ट्रगान को भी संविधान ने 24 जनवरी 1950 को मान्यता दी।
इसे
ठा. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा था। इसे गीतांजली पुस्तक से लिया है। इसे 52
सेकंड में गाया जाता है। गीताजलि पुस्तक के लिए सन् 1913 में साहित्य के लिए
नोवल पुरूस्कार दिया गया रवीन्द्र नाथ टैगोर
नोवल पुरस्कार पाने वाले प्रथम भारतीय व्यक्ति थे। वर्ष 2012 में 150 वी
वर्षगाठ के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक क्षेत्र में 1 करोड़ रू की राशि का ठा.
रविन्द्रनाथ टैगोर पुरूस्कार शुरू किया गया।
2012 में यह
पुरूस्कार ठा. रवीशंकर को दिया गया किन्तु मृत्यु की वजह से यह पुरूस्कार उनकी
बेटी अनुष्का शंकर को दिया गया है।
2013 का ठा. रबीन्द्र
नाथ टैगोर पुरूस्कार जुविन मेहता को दिया गया।
रबीन्द्र नाथ
टैगोर की रचनाऍ – गोरा,
विसर्जन,
चण्डालिका
राष्ट्रगान का छोटा वर्जन भी
राष्ट्रगान बजाने या गाने के नियम हैं.
कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान की पहली और आखिरी लाइनें बजती हैं. इसकी अवधि 20 सेकेंड होती है. पूरा राष्ट्रगान 52 सेकेंड में गाया जाता है. राष्ट्रगान
के समय सावधान की मुद्रा में रहना अनिवार्य है.
राष्ट्रीय वाक्य-
‘’सत्यमेव जयते’’ :- अर्थववेद
के मुण्डको उपनिषद से लिया गया। जिसे 26 जनवरी 1950 में मान्यता मिली।
यह हमारा आदर्श वाक्य
है, जिसका अर्थ है – ‘’सज्य
की सदैव विजय होती है।‘’
यह भारत के राष्ट्रीय
प्रतीक के नीचे देवनागरी लिपि में अंकित है।
राष्ट्रीय चिन्ह
- अशोक स्तम्भ :- इसे सारनाथ
से लिया गया है। जहॉ पर महावीर बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। इसे भारतीय
संविधान ने 26 जनवरी 1950 को मान्यता दी।
अशोक स्तम्भ के
शीर्ष पर चार सिंह जो एक-दूसरे की ओर पीठ किये हुये है। (सिंह
साहस, शौर्य,
निर्भीकता का नीचे एक चक्र तथा दयई ओर एक ‘सांड’ (कृषि
का प्रतीक) व घोड़ा (शक्ति,
परिश्रम प्रगतिशीलता का प्रतीक) है।
राष्ट्रीय संवत
:- ‘’शक संतवत्’’ 78
ई.
में राजा कनिष्क ने चलाया था। इसी संवत पर भारतीय कलैण्डर
आधारित है। इसमें कुल 365 दिन होते हैं।
राष्ट्रीय कलैण्डर
:- ग्रिगेरियन कलैण्डर 1957 से प्रभावी है ।
राष्ट्रीय पशु
:- बाघ (पेथ्रा टाइगर लियोनिल) भारत में पाई जाने वाली प्रजाति को ‘रायल
बांग्ला टाइगर को 1972 में राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया गया यह शक्ति और शान का प्रतीक
‘टीपू सुल्तान’ ने अपने शासन काल
में बाघ को अपना प्रतीक चिन्ह बनाया।
टीपू सुल्तान को
‘शेर-ए-मैसूर’ कहा जाता थ।
भारत में 1967 से
पहले ‘सिंह (एशयाई शेर) को जो केवल गुजरात राज्य के गिर वन पये
जाने के कारण राष्ट्रीय पशु का दर्जा वापिस लिया गया था।
भारत का राष्ट्रीय पुष्प कौन सा है
राष्ट्रीय पुष्प
:- ‘’कमल’’
(नीलंवो नीसोफेरा) है, राष्ट्रीय
पुष्प कमल का विवरण ‘पदम पुराण’ और ‘विष्णु
पुराण’ में मिलता है।
राष्ट्रीय पक्षी
:- ‘’मोर’’
(पावो क्रस्टेटस), भारत
द्वारा 1963 ई. में मयूर (पावो क्रस्टेटस) को राष्ट्रीय पशु घोषित किया।
राष्ट्रीय पक्षी ‘मयूर’
को मारना कानून अपराध 1963 में घोषित किया गया।
भारत का राष्ट्रीय वृक्ष क्या है
राष्ट्रीय वृक्ष
:- ‘’वरगद’’
(शलाका इण्डिका) है इसे वट वृक्ष
के नाम से भी जाना जाता है
राष्ट्रीय लिपि
:- ‘’देवनागिरी लिपि’’
राष्ट्रीय
विरासत पशु :- हाथी को 2010 में बनाया गया था ।
राष्ट्रीय जलीय जीव कब घोषित किया?
गंगा डॉल्फिन(द्वष्टिहीन) भारत सरकार वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 5 अक्टूबर 2009 को डाल्फिन को ''राष्ट्रीय जलीीयजीव'' घोषित किया। डॉल्फिन गंगा नदी में पाई जाती है।
संविधान के भाग एवं अध्याय, संविधान में कुल कितने भाग हैं

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